तना छेदक कीट एक प्रकार का लार्वा कीट है जो फसलों के तनों में छेंद करके अंदर घुस जाता है। यह लार्वल कीट विभिन्न प्रकार की फसलों को नुकसान पहुंचा सकता है, जैसे कि गन्ना, मक्का, कपास, और अन्य।
पहचान-
- तने में छेद: तने पर छोटे-छोटे छेद दिखते हैं। इसके आसपास हल्के भूरे या गहरे रंग के निशान भी दिख सकते हैं।
- पत्तियां मुरझाना: तना छेदक कीट के आक्रमण पर पत्तियां मुरझाकर नीचे झुक जाती हैं। यह लक्षण तब अधिक दिखाई देती है जब तना छेदक कीट द्वारा नुकसान ज्यादा हो जाता है
- तना खोखला होना: कीट के लार्वा तने को अंदर से खोखला कर देते हैं।
- लार्वा दिखना: सफेद या हल्के रंग के लार्वा तने के अंदर दिखाई देते हैं।
- पौधों का गिरना: पौधे तेज हवा से गिर सकते है
लक्षण -
- पैदावार में कमी: कीट के कारण फसल की वृद्धि रुक जाती है।
- पौधे का कमजोर होना: तना खोखला होने से पौधा टूट सकता है।
- पत्तियो का सूखना: पोषण और पानी की कमी होने से पत्तियां सूखने लगती हैं।
- आर्थिक नुकसान: उत्पादन में गिरावट से किसानों को भारी आर्थिक नुकसान हो सकता है।
नियंत्रण के उपाय-
सिंचाई
- फसलों में पानी की सही मात्रा सुनिश्चित करें।
- सफाई करना:
- खेतों में सूखे या प्रभावित फसल के अवशेषों को हटाएं, क्योंकि तना छेदक के लार्वा इन अवशेषों में रहते हैं|
जैविक नियंत्रण
- कात्यायनी टायसन (ट्राइकोडर्मा विराइड)- 1 -2 लीटर/एकड़
- कात्यायनी नीम तेल 10,000 पीपीएम - 5 मिली/एकड़
रासायनिक नियंत्रण
- कात्यायनी चक्रवर्ती (थियामेथोक्सम 12.6% + लैम्ब्डा साइहलोथ्रिन 9.5% ZC) - 80 -100 मिली/ एकड़
- कात्यायनी इमा 5 (इमामेक्टिन बेंजोएट 5% SG) - 100 ग्राम / एकड़
- कात्यायनी अटैक सीएस (लैम्ब्डा- साइहलोथ्रिन 4.9% सी एस) - 100 - 120 मिली/ एकड़
- कात्यायनी चक्रवीर (क्लोरेंट्रानिलिप्रोल 18.5% SC) - 50 - 60 ml / एकड़
- कात्यायनी क्लोडा (क्लोरेंट्रानिलिप्रोल 9.3% + लैम्ब्डा साइहलोथ्रिन 4.6% ZC) - 80 -100 मिली/ एकड़
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
प्रश्न: तना छेदक से सबसे बड़ा नुकसान क्या है?
A. यह तने को खोखला कर देता है, जिससे पौधे गिर सकते हैं और पैदावार घट जाती है।
प्रश्न: जैविक तरीके से इसे कैसे रोका जा सकता है?
A. टायसन और नीम तेल 10,000 पीपीएम का तेल
प्रश्न: कौन-सी दवाएं प्रभावी हैं?
A. चक्रवर्ती , इमा 5, अटैक सीएस, चक्रवीर, क्लोडा
लेखक का नाम - Anuj Sanodiya, Agristudent