मूंगफली (Peanut) भारतीय कृषि का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसकी खेती मुख्य रूप से तेल उत्पादन और मूंगफली दाने के लिए की जाती है। लेकिन मूंगफली की फसल को कई कीट-पतंगों से नुकसान होता है, जिनमें "सफेद लट" (White Grub) प्रमुख है। यह कीट मूंगफली की जड़ों को नुकसान पहुंचाकर उत्पादन में भारी कमी कर सकता है। इस ब्लॉग में हम "सफेद लट का जीवन चक्र", "सफेद लट का नियंत्रण", और "सफेद मूंगफली" जैसे पहलुओं पर चर्चा करेंगे।
सफेद लट से नुकसान
सफेद लट एक प्रकार का मिट्टी में रहने वाला कीट है यह कीट मुख्य रूप से मिट्टी में जड़ों को खाकर फसल को नुकसान पहुंचाता है।
सफेद लट का जीवन चक्र
- अंडा (Egg): मादा भृंग (Beetle) मिट्टी में अंडे देती है। अंडे गोल और सफेद होते हैं।
- लार्वा (Larva): अंडों से निकलने के बाद, ये लार्वा जड़ों को खाना शुरू कर देते हैं। यह चरण सबसे हानिकारक होता है।
- प्यूपा (Pupa): लार्वा मिट्टी में प्यूपा बनाते हैं और कुछ समय तक इसी अवस्था में रहते हैं।
- वयस्क (Adult): प्यूपा से वयस्क भृंग निकलते हैं, जो पौधों की पत्तियों को खाते हैं और अंडे देने के लिए मिट्टी में लौट जाते हैं।
सफेद लट का प्रभाव
सफेद लट मूंगफली की फसल को निम्नलिखित तरीकों से नुकसान पहुंचाता है:
- जड़ों को खाकर पौधों को कमजोर कर देता है।
- पौधे की वृद्धि रुक जाती है और वह सूखने लगता है।
- उत्पादन में भारी कमी हो जाती है।सफेद लट का नियंत्रण
जैविक नियंत्रण
- नीम केक का उपयोग: 250 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर नीम केक को खेत में डालने से सफेद लट पर नियंत्रण पाया जा सकता है।
- Beauveria bassiana (Katyayani Bhasam)- 1 - 2 लीटर / एकड़
- Metarhizium anisopliae (Katyayani Meta power)- 1 - 2 लीटर / एकड़.
रासायनिक नियंत्रण
- क्लोरपायरीफॉस 20% ईसी: 450 ml / एकड़
FAQs:
Q: मूंगफली में सफेद लट क्या है?
A: मूंगफली की फसल को कई कीट-पतंगों से नुकसान होता है, जिनमें "सफेद लट" (White Grub) प्रमुख है। यह कीट मूंगफली की जड़ों को नुकसान पहुंचाकर उत्पादन में भारी कमी कर सकता है। यह फसल की जड़ो को काट देते है
Q: सफेद लट का जैविक नियंत्रण कैसे करें?
A: सफेद लट का जैविक नियंत्रण नीम केक, कात्यायनी भस्म, कात्यायनी मेटा पावरनियंत्रण से करे।
Q: मूंगफली की फसल में सफेद लट का क्या प्रभाव होता है?
A: सफेद लट (White Grub) मूंगफली की जड़ों को खाकर पौधों को कमजोर करता है, जिससे उनकी वृद्धि रुक जाती है। पौधे सूखने लगते हैं, और उत्पादन में भारी कमी हो जाती है।