मिर्च में यूरिया डालने का सही समय - जानें कैसे और कब करें

मिर्च में यूरिया डालने का सही समय - जानें कैसे और कब करें

नर्सरी बेड की तैयारी

  • यूरिया का उपयोग: प्रति एकड़ नर्सरी के बेड में 2 किलो यूरिया मिट्टी के साथ मिलाएं।

नर्सरी के समय यूरिया का उपयोग 

पहला चरण (7-10 दिन बाद):

  • 2-3 किलो यूरिया प्रति एकड़ नर्सरी 

दूसरा चरण (15-20 दिन बाद):

  • पौधों के पत्ते विकसित होने पर 3 किलो यूरिया प्रति एकड़

रोपाई का सही समय

  • मिट्टी की तैयारी: खेत की मिट्टी में 50 किलो नाइट्रोजन, 75 किलो फॉस्फोरस, और 25 किलो पोटाश प्रति एकड़ मिलाएं  

रोपाई के बाद यूरिया उपयोग का सही तरीका

पहला चरण (25 - 30 दिन बाद)

  • प्रति एकड़ खेत में 25 किलो यूरिया डालें।

दूसरा चरण (40-45 दिन बाद)

  • 30 किलो यूरिया प्रति एकड़ उपयोग करें

तीसरा चरण (फूल और फल बनने के समय)

  • प्रति एकड़ 25 किलो यूरिया और 20 किलो पोटाश मिलाकर उपयोग

महत्वपूर्ण सुझाव

  • ओवरडोज़ से बचें: अधिक यूरिया का उपयोग पौधों को नुकसान पहुंचा सकता है।

  • सिंचाई करें: यूरिया डालने के तुरंत बाद सिंचाई करें।

निष्कर्ष

मिर्च की खेती में यूरिया का सही समय और मात्रा में उपयोग फसल के उत्पादन और गुणवत्ता को बढ़ाने में सहायक है। नर्सरी से लेकर रोपाई और फसल के विकास तक, प्रत्येक चरण में यूरिया का उपयोग सोच-समझकर और संतुलित मात्रा में करें।
यूरिया के साथ जैविक खाद और अन्य पोषक तत्वों का संतुलित उपयोग मिर्च की स्वस्थ फसल के लिए जरूरी है।

FAQs 

Q1. नर्सरी बेड तैयार करने के लिए यूरिया का सही उपयोग क्या है?

उत्तर:

  • नर्सरी बेड तैयार करते समय प्रति एकड़ 2 किलो यूरिया मिट्टी में मिलाएं।
  • बीज बोने से पहले मिट्टी को अच्छी तरह से भुरभुरी बनाकर गोबर खाद और यूरिया मिलाएं।

Q2 . मिर्च की खेती में यूरिया उपयोग के मुख्य सुझाव क्या हैं?

उत्तर:

  • अधिक यूरिया डालने से बचें।
  • यूरिया के साथ अन्य पोषक तत्व जैसे पोटाश और फॉस्फोरस का उपयोग करें।
  • प्रत्येक यूरिया उपयोग के बाद सिंचाई करें।
  • रोपाई और फूल-फल बनने के समय संतुलित मात्रा में उर्वरकों का उपयोग करें।

Q3. क्या अधिक यूरिया का उपयोग नुकसानदायक हो सकता है?

उत्तर:

  • हां, अधिक यूरिया का उपयोग पौधों की जड़ों को जलाने और फसल की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकता है।
  • हमेशा संतुलित मात्रा में यूरिया का उपयोग करें।

 

लेखक का नाम - Sandeep Thakur, Agristudent 

 

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