Measures to Control Blast Disease in Paddy | Krishi Seva Kendra

धान में ब्लास्ट रोग के नियंत्रण के उपाय

धान में ब्लास्ट रोग के नियंत्रण के उपाय 

मैग्नापोर्थे ओराइजी फफूंद के कारण होने वाला ब्लास्ट रोग दुनिया भर में धान की फसलों के लिए एक प्रमुख चिंता का विषय है। यह धान के पौधे के सभी हिस्सों को संक्रमित करता है, जिससे उपज में अत्यधिक नुकसान होता है, जो कभी-कभी 70% तक पहुंच जाता है। प्रभावी प्रबंधन के लिए शीघ्र पता लगाना और पहचान करना महत्वपूर्ण है। विश्व स्तर पर, ब्लास्ट रोग धान की फसलों में 10-30% तक वार्षिक उपज को हानि करता है।

धान में ब्लास्ट रोग

धान में ब्लास्ट रोग का संक्षिप्त विवरण

यह धान में ब्लास्ट रोग से संबंधित विस्तृत जानकारी है :

संक्रमणकारक

रोग

साधारण नाम

ब्लास्ट

वैज्ञानिक नाम

मैग्नापोर्थे ओराइजी

पौधे के प्रभावित भाग

पत्तियाँ, तना, पुष्प

धान ब्लास्ट रोग के अनुकूल कारक क्या-क्या है ?

तापमान: धान के ब्लास्ट रोग के लिए आदर्श तापमान आमतौर पर 25°C से 30°C (77°F से 86°F) तक होता है। गर्म तापमान फंगल विकास को शीघ्र करता है और प्रति मौसम में रोग चक्रों की संख्या में वृद्धि करता है।

आर्द्रता: यह स्पोर के अंकुरण, संक्रमण और फफूंद के विकास के लिए महत्वपूर्ण है। 80% सापेक्ष आर्द्रता से ऊपर का आर्द्र वातावरण रोग के विकास के लिए अनुकूलतम परिस्थितियाँ बनाता है।

धान में ब्लास्ट रोग के लक्षण क्या-क्या है ?

पत्तियां :

घाव: ये सबसे आम लक्षण हैं, जो भूरे या सफेद केंद्रों एवं भूरे या लाल रंग की सीमाओं के साथ अंडाकार धब्बों के रूप में दिखाई देते हैं।

झुलसा: गंभीर मामलों में, घावों के कारण पूरी धान की पत्ती भूरी हो जाती है और मर जाती है, जिससे फसल झुलसी हुई दिखाई देती है।

धान की पत्ती का कॉलर भाग :

कॉलर सड़न: यह लक्षण धान की पत्ती के ब्लेड और आवरण के आसपास भूरे रंग के मलिनकिरण के रूप में देखे देता है

नोड्स:

काले घाव: धान के पौधे के तने की गांठों पर काले घाव विकसित हो जाते हैं, जिससे अंततः संक्रमित बिंदु से तना टूट जाता है।

पुष्प :

ब्लैंकिंग: संक्रमित बालियाँ दाने विकसित करने में विफल हो जाती हैं, जिसके परिणामस्वरूप पुष्प पर रिक्त स्थान बन जाते हैं।

धान में ब्लास्ट रोग के नियंत्रण के उपाय क्या है

फफूंदनाशी

तकनीकी नाम

डोज

हेक्सा 5 प्लस

हेक्साकोनाज़ोल 5% SC

500 मिलीलीटर/ एकड़

डॉ. ज़ोल

एज़ोक्सीस्ट्रोबिन 11.00% + टेबुकोनाज़ोल 18.30% SC

300 मिलीलीटर/ एकड़

प्रोपिकोनाज़ोल 13.9 %

प्रोपिकोनाज़ोल 13.9 % + डिफ़ेनोकोनाज़ोल 13.9 %

200 मिलीलीटर/ एकड़

एज़ोज़ोल

एज़ोक्सीस्ट्रोबिन 18.2% + डिफ़ेनोकोनाज़ोल 11.4% SC

300 मिलीलीटर/ एकड़

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धान में ब्लास्ट रोग से सम्बंधित प्रश्न

Q. धान में ब्लास्ट रोग के नियंत्रण के उपाय क्या-क्या है?

A. कुछ रासायनिक एवं जैविक विधि द्वारा धान में ब्लास्ट रोग को नियंत्रित किया जा सकता है।

Q. धान में कीटनाशक के प्रयोग का सर्वोत्तम समय क्या है?

A. धान में कीटनाशक उपयोग करने का सबसे अच्छा समय रोपण के 45-50 दिन बाद है क्योंकि यह पौधे की उत्तम वृद्धि का समय है, जो अर्ली शूट बोरर्स द्वारा अत्यधिक आकर्षक है।

Q. धान में ब्लास्ट रोग के नियंत्रण के लिए सर्वोत्तम फफूंदनाशी कौन-कौन से है?

A. हेक्सा 5 प्लस, डॉ. ज़ोल, प्रोपिकोनाज़ोल 13.9 %, एज़ोज़ोल आदि धान में ब्लास्ट रोग के नियंत्रण के लिए सर्वोत्तम फफूंदनाशी में से एक है।

Q. ब्लास्ट रोग क्या है?

A. ब्लास्ट रोग एक प्रकार की फफूंदी संक्रमण रोग है, जो विभिन्न प्रकार की फसलें एवं पौधे प्रभावित करता है। यह बीमारी विशेष रूप से चावल(धान), गेहूं, जौ, और अन्य अनाज की फसलों में दिखाई देता है। इसे "ब्लास्ट" रोग इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह पौधों में अचानक और तेज़ी से फैलता है, जिससे पौधे पूरी तरह सूख जाते हैं और उनकी उपज कम हो जाती है। 

धान में ब्लास्ट रोग के नियंत्रण के उपाय
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