पुकिनिया मेलानोसेफला कवक के कारण होने वाला रतुआ रोग दुनिया भर में गन्ने की फसल के लिए एक गंभीर खतरा है। इससे गन्ने की उपज और गुणवत्ता में काफी कमी आ सकती है। जंग की बीमारी बीजाणुओं से फैलती है, जो हवा, बारिश या कीड़ों द्वारा फैल सकती है। बीजाणु संक्रमित पौधे के मलबे पर भी लंबे समय तक जीवित रह सकते हैं। जब बीजाणु किसी संवेदनशील पौधे पर उतरते हैं, तो वे अंकुरित होते हैं और पौधे के ऊतकों पर आक्रमण करते हैं। फिर कवक पौधे के अंदर बढ़ता है, इसके पोषक तत्वों को खाता है और नुकसान पहुंचाता है।
- संक्रमण का प्रकार: फंगल रोग
- सामान्य नाम: जंग
- कारण जीव: पुकिनिया एरिएंथी
- पौधे के प्रभावित भाग: पत्तियाँ
- तापमान: जंग कवक आमतौर पर 15°C से 25°C (59°F से 77°F) तक के मध्यम तापमान में पनपते हैं। ठंडा या गर्म तापमान फंगल विकास और बीजाणु अंकुरण को धीमा या बाधित कर सकता है।
- आर्द्रता: उच्च आर्द्रता का स्तर (80% से ऊपर) एक नम वातावरण बनाता है जो फंगल विकास और बीजाणु फैलाव का पक्ष लेता है। बार-बार होने वाली बारिश, सुबह की ओस या ऊपरी सिंचाई के कारण लंबे समय तक पत्तियों का गीला रहना भी संक्रमण के खतरे को बढ़ा सकता है।
- लंबे पीले धब्बे: शुरुआती लक्षण गन्ने की पत्तियों की ऊपरी और निचली दोनों सतहों पर छोटे, पीले धब्बों के रूप में दिखाई देते हैं, जो आमतौर पर 1-4 मिमी लंबे होते हैं।
- रंग बदलना: जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, पीले धब्बे धीरे-धीरे बढ़ते हैं और रंग बदलकर लाल-भूरे या भूरे रंग में बदल जाते हैं।
- फुंसियों का बनना: जैसे-जैसे धब्बे परिपक्व होते हैं, पत्तियों के नीचे की तरफ फुंसियां (छोटी, उभरी हुई गांठें) विकसित हो जाती हैं ।
- पत्ती का मरना: गंभीर मामलों में, संक्रमण व्यापक हो सकता है, जिससे फुंसियाँ आपस में मिल जाती हैं और पत्तियों के बड़े क्षेत्रों को ढक लेती हैं।
उत्पादों | तकनीकी नाम | खुराक |
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Tyson | ट्राइकोडर्मा विराइड जैव कवकनाशी पाउडर | कात्यायनी ट्राइकोडर्मा विराइड की 1-2 कि.ग्रा |