zinc sulphate fertilizer : फसल की उपज और गुणवत्ता बढ़ाने का असरदार उपाय

zinc sulphate fertilizer : फसल की उपज और गुणवत्ता बढ़ाने का असरदार उपाय

जिंक सल्फेट 33% फसल की उपज और गुणवत्ता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह एक प्रभावी उर्वरक है, जो फसल में जिंक की कमी को पूरा करता है। जिंक पौधों के विकास के लिए आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्व है। इस ब्लॉग में हम जिंक सल्फेट के फायदे, उपयोग, और फसल पर जिंक की कमी के लक्षणों पर चर्चा करेंगे।

जिंक और जिंक सल्फेट क्या है?

जिंक एक महत्वपूर्ण सूक्ष्म पोषक तत्व है, जो पौधों की वृद्धि और विकास के लिए आवश्यक है। यह क्लोरोफिल निर्माण, एंजाइम सक्रियण, और फूल व फल उत्पादन में मदद करता है।

जिंक सल्फेट 33% एक जल में घुलनशील उर्वरक है, जिसे मिट्टी में भुरकाव या पत्तियों पर छिड़काव के लिए उपयोग किया जाता है। यह पौधों की जड़ों द्वारा आसानी से अवशोषित हो जाता है।

zinc sulfate fertilizer

फसल में जिंक की कमी के लक्षण

  • पत्तियों का पीला पड़ना: पत्तियों की नसों के बीच का हिस्सा पीला या सफेद हो जाता है।
  • पौधों की वृद्धि रुकना: तने और पत्तियां छोटी हो जाती हैं।
  • पत्तियों का ब्रॉन्जिंग: पत्तियों के पीले हिस्से पर कांस्य या भूरा रंग दिखता है।
  • पत्तियों का गुच्छों में आना: पत्तियां तनों पर छोटे अंतराल में गुच्छे की तरह दिखती हैं।
  • फल और सब्जियों का आकार घट जाना: फसल के फल और सब्जियां छोटे आकार के हो जाते हैं।
  • फसल पकने में देरी: फसल की परिपक्वता में देरी होती है।
  • गुणवत्ता में गिरावट: फलों और सब्जियों का रंग, स्वाद और बनावट खराब हो जाती है।

जिंक की कमी से आर्थिक नुकसान

  • उपज में कमी: जिंक की कमी से फसल की उपज में 30-50% तक की गिरावट हो सकती है।
  • गुणवत्ता में गिरावट: बाजार में फसल की कीमत कम हो जाती है।
  • पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम: रोगों से , ठंड से , सूखा से और अन्य प्रतिकूल परिस्थितियों से पौधे अधिक प्रभावित होते हैं।

समाधान और उपचार

कत्यायनी जिंक सल्फेट 33% | मोनोहाइड्रेट माइक्रोन्यूट्रिएंट

फसल में जिंक की कमी को पूरा करने के लिए एक प्रभावी समाधान है। यह पौधों को तेजी से पोषण प्रदान करता है और फसल की वृद्धि और गुणवत्ता को बढ़ावा देता है।

जिंक सल्फेट खाद के फायदे:

  • फसल की वृद्धि को बढ़ावा देता है।
  • पत्तियों का हरा रंग बनाए रखता है।
  • ठंड और सूखे जैसी परिस्थितियों में पौधों को मजबूत बनाता है।
  • फलों और सब्जियों के आकार और गुणवत्ता को सुधारता है।
  • फसल की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है।

उपयोग के तरीके:

मिट्टी में भुरकाव के लिए:

  • 4-5 किलोग्राम प्रति एकड़।

    पत्तियों पर छिड़काव के लिए:

    • 3-5 ग्राम जिंक सल्फेट को 1 लीटर पानी में घोलें और फसल पर समान रूप से छिड़काव करें।

      छिड़काव का समय:

      • पहली बार: बुआई या रोपाई के 20 दिन बाद।
      • दूसरी बार: पहले छिड़काव के 25 दिन बाद।
      • तीसरी बार: फूल आने के समय।

          निष्कर्ष

          जिंक सल्फेट 33% एक प्रभावी समाधान है जो फसल की उपज, गुणवत्ता, और पौधों की मजबूती को बढ़ाता है। कत्यायनी जिंक सल्फेट को सही समय पर और सही मात्रा में उपयोग करके किसान अपनी फसल को अधिक लाभदायक बना सकते हैं। नियमित निगरानी और जिंक की कमी के लक्षणों की पहचान कर समय पर उपचार करना फसल की सफलता की कुंजी है।

          अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

          Q. जिंक सल्फेट क्या है?

          A. यह एक रासायनिक उर्वरक है जो फसल में जिंक की कमी को पूरा करता है।

          Q. जिंक सल्फेट का उपयोग क्यों करें?

          A. यह पौधों की वृद्धि, उपज, और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।

          Q. जिंक की कमी के लक्षण क्या हैं?

          A. पत्तियों का पीला होना, पौधों की धीमी वृद्धि, और फल का छोटा आकार।

          Q. जिंक सल्फेट का उपयोग कैसे करें?

          A. मिट्टी में 4-5 किलोग्राम प्रति एकड़ या पत्तियों पर छिड़काव के लिए 3-5 ग्राम प्रति लीटर पानी।

          Q. किन फसलों के लिए जिंक सल्फेट उपयोगी है?

          A. दालें, अनाज, फल, सब्जियां, फूल और अन्य सभी फसलें।

            ब्लॉग पर वापस जाएँ
            1 का 3