कात्यायनी सोल -एफ इ (सल्फर और आयरन बैक्टीरिया) मिट्टी में अघुलनशील सल्फर और आयरन को घुलनशील रूप में परिवर्तित करते हैं, जिससे पौधों को ये पोषक तत्व आसानी से मिलते हैं। इससे पौधों की वृद्धि, उत्पादन, और गुणवत्ता में सुधार होता है, साथ ही नाइट्रोजन और फास्फोरस जैसे पोषक तत्वों का भी अवशोषण बेहतर होता है।
लक्ष्य पोषक तत्व की कमी के लक्षण
- छोटी पत्तियों का पीला होना: सल्फर और आयरन की कमी के कारण पत्तियां पीली (क्लोरोसिस) हो जाती हैं।
- विकास में कमी: पौधों की वृद्धि धीमी हो जाती है और तने व पत्ते छोटे रहते हैं।
- फूल और फल विकास में कमी: फूल, फल और दानों का आकार और संख्या कम हो जाती है।
- इंटरवेइनल क्लोरोसिस: पत्तियों की शिराएं हरी रहती हैं, लेकिन उनके बीच का भाग पीला हो जाता है।
- देर से परिपक्वता: फसल को परिपक्व होने में अधिक समय लगता है।
- जड़ विकास में कमजोरी: जड़ें पूरी तरह विकसित नहीं हो पातीं, जिससे पानी और पोषक तत्वों का अवशोषण कम होता है।
- उत्पादन में कमी: उत्पादन में गिरावट आती है और फसल की गुणवत्ता खराब होती है।
- मृदा असंतुलन: मिट्टी की उर्वरता और पोषक तत्वों का संतुलन बिगड़ जाता है।
लक्ष्य फसलें:
- सभी प्रकार की फसलें (अनाज, बाजरा, फल, सब्जियां, फूल, गन्ना, रोपण और अन्य फील्ड फसलें)
- अनाज: गेहूं, मक्का, धान, आदि।
- बाजरा: बाजरा, ज्वार (सोरघम), रागी, जौ, आदि।
- दलहन: चना, मसूर, उड़द, मूंग, अरहर, राजमा, आदि।
- तिलहन: मूंगफली, सरसों, नारियल, तिल, अलसी, सूरजमुखी, सोयाबीन, अरंडी, आदि।
- फल: केला, पपीता, आम, अनार, अमरूद, सेब, नाशपाती, संतरा, मौसंबी, अंगूर, ड्रैगन फ्रूट, खजूर, कीवी, आदि।
- सब्जियां: टमाटर, बैंगन, मिर्च, शिमला मिर्च, भिंडी, मटर, लौकी, प्याज, लहसुन, फूलगोभी, पत्ता गोभी, आदि।
- मसाले: जायफल, लौंग, जीरा, दालचीनी, इलायची, करी पत्ता, अदरक, हल्दी।
- फूल: गुलाब, गेंदा, ग्लैडियोलस, गेंदा, चमेली, कार्नेशन।
- रेशा फसल: कपास, जूट।
- शर्करा एवं स्टार्च फसल: गन्ना।
क्रिया विधि (Mode of Action)
- ये बैक्टीरिया जैविक अम्ल (Organic Acids) का निर्माण करते हैं, जो मिट्टी में मौजूद अघुलनशील सल्फर और आयरन को घुलनशील रूप में परिवर्तित करते हैं।
- यह मिट्टी के pH को बनाये रखते हुए सल्फर और फेरस को पौधों द्वारा उपयोग के लिए उपलब्ध कराता है।
- इस प्रक्रिया से जड़ वृद्धि में सुधार होता है, जिससे पानी और पोषक तत्वों का अवशोषण बढ़ता है।
- इससे फसल की उपज में वृद्धि होती है और मिट्टी का स्वास्थ्य बेहतर बनता है।
मात्रा(Dosage)
- मृदा उपचार (ब्रॉडकास्टिंग): 1-2 लीटर प्रति एकड़।
- ड्रिप सिंचाई: 1.5-2 लीटर प्रति एकड़।
आवेदन विधि
ब्रॉडकास्टिंग & ड्रिप सिंचाई
मुख्य लाभ (Benefits)
- फूल, फल और अनाज की संख्या व आकार में वृद्धि करता है।
- मिट्टी का pH और उर्वरता बनाए रखता है।
- मिट्टी के पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ाकर स्वास्थ्य में सुधार करता है।
- फसल की गुणवत्ता और उपज में सुधार करता है।
- सभी प्रकार की फसलों और पौधों के लिए उपयुक्त।
- पर्यावरण के अनुकूल और सुरक्षित।
- घरेलू उपयोग के लिए आदर्श (घर के बगीचे, नर्सरी, ग्रीनहाउस, टेरेस गार्डन)।
- ऑर्गेनिक खेती के लिए NPOP (National Programme for Organic Production) द्वारा अनुशंसित।
विशेष टिप्पणी
यहाँ दी गई जानकारी केवल संदर्भ के लिए है। उत्पाद के पूर्ण विवरण और उपयोग के निर्देशों के लिए हमेशा उत्पाद लेबल और साथ में दिए गए पर्चे को देखें।
FAQs
Q. कात्यायनी सोल -एफ इ (सल्फर और आयरन बैक्टीरिया) का व्यापार और तकनीकी नाम क्या है?
A. व्यापार नाम: कात्यायनी सोल -एफ इ
तकनीकी नाम: सल्फर और आयरन बैक्टीरिया
Q. सल्फर और आयरन बैक्टीरिया का मुख्य उपयोग क्या है?
A. ये मिट्टी में अघुलनशील सल्फर और आयरन को घुलनशील रूप में परिवर्तित करते हैं, जिससे पौधों की वृद्धि, उपज और गुणवत्ता में सुधार होता है।
Q. कात्यायनी सोल -एफ इ (सल्फर और आयरन बैक्टीरिया) की कार्यप्रणाली क्या है?
A. सोल -एफ इ (सल्फर और आयरन बैक्टीरिया) की कार्यप्रणाली:
- ये जैविक अम्ल का उत्पादन करते हैं, जो सल्फर और आयरन को घुलनशील रूप में परिवर्तित करता है।
- मिट्टी के pH को कम करके पोषक तत्वों को पौधों के लिए उपलब्ध कराता है।
- जड़ों की वृद्धि और पोषक तत्वों के अवशोषण में सुधार करता है।
Q. कात्यायनी सोल -एफ इ (सल्फर और आयरन बैक्टीरिया) की खुराक क्या है?
A. सोल -एफ इ (सल्फर और आयरन बैक्टीरिया) की खुराक:
- मृदा उपचार (ब्रॉडकास्टिंग): 1-2 लीटर प्रति एकड़।
- ड्रिप सिंचाई: 1.5-2 लीटर प्रति एकड़।
Q. कात्यायनी सोल -एफ इ (सल्फर और आयरन बैक्टीरिया) के आवेदन के तरीके कौन-कौन से हैं?
A. ब्रॉडकास्टिंग & ड्रिप सिंचाई