किसान मित्रों, मार्च के प्रथम सप्ताह में खेत खाली होने के बाद अधिकतर किसान ऐसी फसल की तलाश में रहते हैं जो कम समय में तैयार हो और अच्छा मुनाफा दे। गर्मी के मौसम में मूंग की खेती एक ऐसा विकल्प है, जो मात्र 60-70 दिनों में तैयार होकर किसानों को बेहतर लाभ देती है। इस ब्लॉग में हम मूंग की खेती से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारियां साझा करेंगे।

1. मूंग की बुवाई का समय
गर्मी में मूंग की बुवाई का सबसे उपयुक्त समय मार्च के प्रथम सप्ताह से द्वितीय सप्ताह तक होता है। बुवाई का समय ऐसा होना चाहिए कि खरीफ की फसल की बुवाई से पहले खेत खाली हो जाए।
2. भूमि चयन और मिट्टी की तैयारी
- मध्यम से भारी दोमट मिट्टी मूंग की खेती के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है।
- मिट्टी का pH स्तर 6.5 से 7 के बीच होना चाहिए।
- खेत की गहरी जुताई करने के बाद रोटावेटर से मिट्टी को समतल करना आवश्यक है।
- बुवाई से पहले पलेवा (सिंचाई) करने से खरपतवार नियंत्रण और पीला मोजेक वायरस की समस्या कम होती है।
3. बीज चयन और उपचार
- मूंग की ऐसी किस्मों का चयन करें जो 60-70 दिनों में तैयार हो जाएं और पीला मोजेक रोग के प्रति प्रतिरोधी हों।
- कुछ प्रमुख किस्में: एमएच 421, पीडीएम 139, श्रीराम 8644, IPM - 205-07(Virat)
बीज उपचार विधि (FIR विधि):
- फफूंदनाशी (Fungicide): टेबुकोनाजोल 1 ग्राम प्रति किलो बीज।
- कीटनाशक (Insecticide): थायोमेथोक्साम 10 मिली प्रति किलो बीज।
- राइजोबियम कल्चर: अंकुरण और वृद्धि के लिए।
4. बुवाई का तरीका और दूरी
- पंक्ति से पंक्ति की दूरी: 30 सेमी।
- पौधे से पौधे की दूरी: 10 सेमी।
- बीज की गहराई: 4-5 सेमी।
5. उर्वरक प्रबंधन
- नाइट्रोजन की अधिक मात्रा देने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि मूंग स्वयं नाइट्रोजन का स्थिरीकरण करती है।
- बुवाई के समय:
- एसएसपी (Single Super Phosphate): 100 किलोग्राम प्रति एकड़।
- जिंक सल्फेट: 4-6 किलोग्राम प्रति एकड़।
6. सिंचाई प्रबंधन
- फसल के अंकुरण, फूल आने और फलियां बनने की अवस्था में हल्की सिंचाई आवश्यक है।
- अधिक सिंचाई से बचें क्योंकि इससे पौधों में रोग लगने की संभावना बढ़ जाती है।
7. खरपतवार नियंत्रण
- बुवाई के समय या तुरंत बाद खरपतवार नाशक का छिड़काव करें।
- 15-20 दिन बाद खड़ी फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए उपयुक्त दवाओं का प्रयोग करें।
8. रोग और कीट नियंत्रण
- पीला मोजेक वायरस: प्रतिरोधी किस्मों का चयन और रोगग्रस्त पौधों को नष्ट करें।
- थ्रिप्स और माहू: इमिडाक्लोप्रिड या थायोमेथोक्साम का छिड़काव करें।
9. फसल कटाई और उपज
- बुवाई के 60-70 दिनों बाद फसल तैयार हो जाती है।
- जब फलियां पीली होकर सूखने लगें तब कटाई करें।
- औसत उपज: 4-5 क्विंटल प्रति एकड़।
निष्कर्ष
गर्मी के मौसम में मूंग की खेती कम समय में अधिक लाभ देने वाली फसल है। सही समय पर बुवाई, उचित बीज चयन, संतुलित खाद और सिंचाई प्रबंधन से किसान मित्र अपनी उपज और मुनाफे को बढ़ा सकते हैं। अगर आपके पास मूंग की खेती से जुड़ा कोई सवाल है तो हमें कमेंट बॉक्स में बताएं।
FAQs
Q1: मूंग की फसल की सिंचाई कितनी बार करनी चाहिए?
उत्तर: अंकुरण, फूल आने और फली बनने की अवस्था में सिंचाई आवश्यक होती है। अत्यधिक सिंचाई से बचें, क्योंकि इससे बीमारियों का प्रकोप बढ़ सकता है।
Q2: मूंग के खेतों में खरपतवार कैसे नियंत्रित करें?
उत्तर: बुवाई के समय या बुवाई के तुरंत बाद पेंडिमेथालिन 30% हर्बिसाइड का उपयोग करें। इसके बाद 15-20 दिन बाद उचित खरपतवारनाशक का छिड़काव करें।
Q3: मूंग की फसल में कौन-कौन से कीट और रोग सामान्य रूप से होते हैं?
उत्तर: सामान्य कीटों में थ्रिप्स और एफिड्स शामिल हैं,पीला मौजेक वायरस को प्रतिरोधी किस्मों के चयन और संक्रमित पौधों को हटाने से नियंत्रित किया जा सकता है।
Q4: मूंग की फसल काटने का सही समय कब है?
उत्तर: जब फली पीली और सूखी हो जाए, तब फसल की कटाई करें। यह आमतौर पर बुवाई के 60-70 दिन बाद होता है।