गर्मियों में कई किसान अपनी ज़मीन खाली छोड़ देते हैं, जिससे वे एक बड़ा मुनाफा गंवा बैठते हैं। लेकिन अगर सही समय पर सही फसल का चुनाव किया जाए, तो गर्मियों में भी अच्छी आमदनी की जा सकती है। इस लेख में हम आपको दो ऐसी सब्जियों के बारे में बताएंगे, जिनसे आप 55,000 से 1,00,000 रुपये तक की कमाई कर सकते हैं।
गर्मियों में सब्जी की मांग और ट्रेंड
कई किसान मानते हैं कि फरवरी-मार्च में सब्जियों के दाम अच्छे नहीं मिलते, लेकिन वास्तविकता इससे अलग है। बीते कुछ वर्षों में फरवरी-मार्च में लगाई गई सब्जियों के दाम बढ़ते देखे गए हैं। गर्मियों में लगभग 4-5 महीने तक ज़मीन खाली पड़ी रहती है, ऐसे में सही फसल का चुनाव करना ज़रूरी है।
पहली फसल: हरी धनिया की खेती
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कम समय में तैयार होने वाली फसल
हरी धनिया केवल 35-45 दिनों में तैयार हो जाती है, जिससे किसान जल्दी मुनाफा कमा सकते हैं। इस फसल की मांग अधिक होने के कारण बाज़ार में अच्छे दाम मिलते हैं।
बुवाई का सही समय
फरवरी के महीने में हरी धनिया की बुवाई करने से बंपर उत्पादन होता है।
बीज की मात्रा
1 एकड़ खेत के लिए 8-10 किलो बीज पर्याप्त होता है। बुवाई से पहले बीज को 3-4 हिस्सों में तोड़ना चाहिए, ताकि अंकुरण अच्छा हो।
सही तरीके से बुवाई और सिंचाई
- बुवाई के तुरंत बाद सिंचाई करनी चाहिए।
- पहली सिंचाई के बाद हर 7-10 दिनों में हल्की सिंचाई करें।
रोग नियंत्रण और जैविक उपचार
- बीज को कात्यायनी टायसन | ट्राइकोडर्मा विराइड 1% WP से उपचारित करना चाहिए, ताकि फफूंद जनित बीमारियों से बचाव हो सके।
अंतरवर्तीय खेती मॉडल
हरी धनिया को भिंडी, मिर्च और बैंगन के साथ लगाया जा सकता है। धनिया हल्की छाया में भी अच्छी तरह बढ़ता है, जिससे किसान अतिरिक्त मुनाफा कमा सकते हैं।
दूसरी फसल: देसी टिंडा की खेती
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तेजी से बढ़ने वाली गर्मी की सब्जी
देसी टिंडा केवल 40-45 दिनों में तैयार हो जाता है और इसकी मांग गर्मियों में अधिक रहती है। कम लागत में अधिक मुनाफा देने वाली यह फसल किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है।
बुवाई का सही समय
फरवरी से मार्च अंत तक इसकी बुवाई का सही समय होता है।
बीज की मात्रा और दूरी
- 1 एकड़ खेत के लिए 350-500 ग्राम बीज पर्याप्त होता है।
- पौधे से पौधे की दूरी 2-3 फीट और कतार से कतार की दूरी 5-6 फीट रखनी चाहिए।
सिंचाई और उर्वरक प्रबंधन
- हर 5-7 दिनों में हल्की सिंचाई करें।
- जैविक खाद जैसे माइकोराइजा का उपयोग करने से उत्पादन और गुणवत्ता बढ़ती है।
रोग प्रबंधन और जैविक खाद का महत्व
- अधिक पानी देने से जड़ सड़न की समस्या हो सकती है, इसलिए सिंचाई नियंत्रित करें।
- नीम तेल और जैविक फफूंदनाशक का उपयोग करें।
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मंडी में अधिक मांग और बेहतर दाम
मार्च-अप्रैल में सब्जी की कमी हो जाती है, जिससे टिंडा के दाम बढ़ जाते हैं। किसान इस फसल से अच्छी कमाई कर सकते हैं।
गर्मियों में फसल चक्र अपनाकर अधिक मुनाफा
हरी धनिया और देसी टिंडा की कटाई के बाद किसान दूसरी फसल भी लगा सकते हैं। यह रणनीति अपनाकर वे अपनी आय को बढ़ा सकते हैं।
निष्कर्ष
गर्मियों में खाली पड़ी ज़मीन को लाभकारी बनाने का यह सुनहरा अवसर है। हरी धनिया और देसी टिंडा जैसी फसलें कम लागत में अधिक मुनाफा देती हैं। यदि किसान सही खेती प्रबंधन अपनाते हैं, तो वे अपनी आमदनी को कई गुना बढ़ा सकते हैं।
FAQs
Q1: क्या हरी धनिया को अन्य फसलों के साथ अंतरवर्तीय खेती (Intercropping) में उगाया जा सकता है?
A: हां, हरी धनिया को भिंडी, मिर्च और बैंगन जैसी फसलों के साथ लगाया जा सकता है। यह हल्की छाया में भी अच्छी तरह बढ़ता है, जिससे किसान अतिरिक्त मुनाफा कमा सकते हैं।
Q2: गर्मियों में खाली ज़मीन को कैसे लाभकारी बनाया जा सकता है?
- खाली पड़ी ज़मीन पर हरी धनिया और देसी टिंडा जैसी जल्दी तैयार होने वाली फसलें उगाकर मुनाफा बढ़ाया जा सकता है।
- कम लागत और जैविक खाद के प्रयोग से उत्पादन की गुणवत्ता बेहतर की जा सकती है।
- सही समय पर सिंचाई और कीट नियंत्रण करने से अच्छी पैदावार मिलेगी।
Q3: देसी टिंडा में कौन-कौन से रोग लग सकते हैं और उनका जैविक नियंत्रण कैसे करें?
देसी टिंडा में जड़ सड़न (Root Rot) और कीट संक्रमण की समस्या हो सकती है। इससे बचाव के लिए नीम तेल और जैविक फफूंदनाशक का उपयोग करें।
Q4: क्या हरी धनिया को अन्य फसलों के साथ अंतरवर्तीय खेती (Intercropping) में उगाया जा सकता है?
हां, हरी धनिया को भिंडी, मिर्च और बैंगन जैसी फसलों के साथ लगाया जा सकता है। यह हल्की छाया में भी अच्छी तरह बढ़ता है, जिससे किसान अतिरिक्त मुनाफा कमा सकते हैं।