क्या आप एक ऐसी फसल के बारे में जानना चाहते हैं जिससे आप 120 दिनों में 2.5 लाख रुपये तक का मुनाफा कमा सकते हैं? जी हां! हम बात कर रहे हैं तुरई की खेती के बारे में। तुरई को अंग्रेजी में Ridge Gourd कहते हैं और यह फसल भारतीय बाजार के साथ-साथ एक्सपोर्ट मार्केट में भी बहुत मांग में रहती है। आइए जानते हैं कैसे आप तुरई की खेती करके ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं।
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तोरई की खेती का बुवाई का समय
तुरई की खेती साल में तीन बार की जा सकती है:
- गर्मी सीजन (फरवरी-मार्च)
- खरीफ सीजन (जून-जुलाई)
- रबी सीजन (अक्टूबर-नवंबर)
मिट्टी का चुनाव
तुरई की खेती के लिए ऐसी मिट्टी का चुनाव करें जहां वाटर होल्डिंग कैपेसिटी अच्छी हो और खेत का ड्रेनज सिस्टम बेहतर हो। खेत में पानी भरने की समस्या नहीं होनी चाहिए।
खेत की तैयारी
- खेत की तीन बार जुताई करें।
- प्रति एकड़ 10 टन गोबर की खाद या 1 टन वर्मी कंपोस्ट डालें।
-
कात्यायनी एजोज़न(एजोस्पिरिलम बैक्टीरिया) - 1.5 - 2 लीटर / एकड़ और कात्यायनी सोलूफोस (फास्फोरस सॉल्युबलाइजिंग बैक्टीरिया) - 2 लीटर / एकड़ का उपयोग करें।
बीज की मात्रा
- एक एकड़ में 500 -700 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है।
- इसे सीधे खेत में भी लगा सकते है या नर्सरी में भी लगा सकते है
- बीजों को नर्सरी में 20-30 दिन तक तैयार करने के बाद ट्रांसप्लांट करें।
सिंचाई और मल्चिंग
- फसल में ड्रिप इरिगेशन और मल्चिंग का उपयोग जरूर करें।
- अगर ड्रिप और मल्चिंग नहीं की है तो पौधो को सीधे पानी दे लेकिन ध्यान दे की खेत में पानी भरा नहीं रहे
पोषक तत्व प्रबंधन
तत्व |
मात्रा |
समय |
यूरिया |
25 किलो |
पहली सिंचाई पर |
यूरिया |
25 किलो |
30 दिन बाद |
यूरिया |
25 किलो |
60 दिन बाद |
फूल और फल बनने की समस्या का समाधान
- वृद्धि बढ़ाने के लिए: सीवीड एक्सट्रैक्ट - 300 मिली / एकड़ या NPK 19:19:19- 750 ग्राम / एकड़ स्प्रे करें।
- फीमेल फ्लावर बढ़ाने के लिए: अल्फा नेपथली एसिटिक एसिड (NAA) - 45 मिली /एकड़ के हिसाब से स्प्रे करें।
- फूल गिरने से रोकने के लिए: कात्यायनी ब्लूम बूस्टर - 100 मिली /एकड़ या कात्यायनी न्यूट्रिशस - 250 - 300 मिली /एकड़ स्प्रे करें।
कीट और रोग प्रबंधन
मुख्य कीट:
थ्रिप्स और सफ़ेद मक्खी (वाइटफ्लाई):
- कात्यायनी फैंटेसी (फिप्रोनिल 5% SC) - 250 मिली /एकड़
- कात्यायनी IMD 178 (इमिडाक्लोप्रिड 17.8% SL)- 80 - 100 मिली/ एकड़
फल मक्खी:
- कात्यायनी मेल 50 (मेलाथियान 50% EC) - 250-300 मिली/ एकड़ + गुड़ मिलाकर स्प्रे करें।
मुख्य रोग:
- पाउडरी मिल्ड्यू: कात्यायनी हेक्सा 5 प्लस (हेक्जाकोनाजोल 5%SC) - 150 - 200 मिली / एकड़
- डाउनी मिल्ड्यू: कात्यायनी कात्यायनी डॉ. ज़ोले (एज़ोक्सीस्ट्रोबिन 11% + टेबुकोनाज़ोल 18.3% एससी) - 250 मिली /एकड़
- लीफ स्पॉट: कात्यायनी COC 50 (कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 50% WP) - 350 ग्राम / एकड़
उपज और मुनाफा
- प्रति एकड़ उपज: 100-125 क्विंटल
- बाजार भाव (थोक): ₹20-₹30 प्रति किलो
- एक्सपोर्ट भाव: ₹80-₹150 प्रति किलो
- कुल मुनाफा: ₹2,50,000 तक
निष्कर्ष
तुरई की खेती एक कम लागत, ज्यादा मुनाफा देने वाली फसल है। अगर आप सही तरीके से इसकी देखभाल करें और आधुनिक तकनीकों का उपयोग करें तो कम समय में आप लाखों का मुनाफा कमा सकते हैं। अगर आपको इस फसल की बिक्री और एक्सपोर्ट की जानकारी चाहिए तो हमारे अगले ब्लॉग में हम इस विषय पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
FAQs
Q1 : तुरई की फसल में कौन-कौन से कीट लगते हैं?
A: मुख्य रूप से थ्रिप्स, सफ़ेद मक्खी और फल मक्खी तुरई की फसल पर हमला करते हैं।
Q2 : तुरई की उपज प्रति एकड़ कितनी होती है?
A: प्रति एकड़ तुरई की उपज 100-125 क्विंटल होती है।
Q3 : तुरई की खेती के लिए कौन सी खाद सबसे अच्छी है?
A: गोबर खाद, वर्मी कंपोस्ट और जैविक खाद तुरई की खेती के लिए सबसे अच्छी मानी जाती है।
Q4 : तुरई की फसल में फूल गिरने की समस्या कैसे रोकी जा सकती है?
A: इसके लिए कात्यायनी ब्लूम बूस्टर और न्यूट्रिशस का स्प्रे करें।