Understanding Mycorrhiza: A Complete Guide for Farmers

माइकोराइजा के फायदे और उपयोग: किसानों के लिए सम्पूर्ण गाइड

किसान मित्रों, कात्यायनी ऑर्गॅनिक्स में आपका स्वागत है! माइकोराइजा फसल उत्पादन और मिट्टी की गुणवत्ता सुधारने के लिए एक अद्भुत समाधान है। इस ब्लॉग में हम माइकोराइजा की पूरी जानकारी देंगे, जिसमें इसके प्रकार, फायदे, खुराक और सही उपयोग विधि शामिल है।

माइकोराइजा क्या है?

माइकोराइजा एक लाभदायक कवक (फंगस) है, जो पौधों की जड़ों के साथ सहजीवी संबंध बनाता है। यह पौधों को पोषक तत्व और पानी सोखने की क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है।

माइकोराइजा के बारे में मुख्य तथ्य:

  • माइकोराइजा लगभग 90% पौधों के साथ सहजीवी संबंध बनाता है।
  • लगभग 50,000 प्रकार के फंगस 2,50,000 प्रकार के पौधों के साथ सहजीवी संबंध बनाते हैं।

माइकोराइजा के प्रकार

माइकोराइजा के कुल सात प्रकार होते हैं, लेकिन सबसे सामान्य प्रकार हैं:

एक्टोमाइकोराइजा:

यह जड़ों के अंदर प्रवेश नहीं करता।

  • जड़ों की सतह पर एक कवच बनाता है।
  • यह प्रायः वनों के पेड़ों में पाया जाता है।

एंडोमाइकोराइजा:

  • यह जड़ों के अंदर प्रवेश करता है और जड़ों के कोशिकाओं में पोषक तत्वों का आदान-प्रदान करता है।
  • यह कृषि पौधों के लिए सबसे उपयोगी है।

एंडोमाइकोराइजा के प्रकार:

  • आर्बस्कुलर माइकोराइजा (AM): यह सबसे सामान्य है और 80% पौधों के साथ सहजीवी संबंध बनाता है।
  • ऑर्किड माइकोराइजा: यह ऑर्किड पौधों में पाया जाता है।
  • एरिकॉइड माइकोराइजा: यह हीथलैंड पौधों में पाया जाता है।

माइकोराइजा के फायदे

माइकोराइजा के कई फायदे हैं, जो इसे खेती में अत्यंत उपयोगी बनाते हैं:

मिट्टी की संरचना सुधारता है:

  • जल धारण क्षमता को बढ़ाता है।
  • मिट्टी के बड़े कणों को जोड़कर क्षरण को रोकता है।

पोषक तत्व अवशोषण बढ़ाता है:

  • जड़ों का विकास करता है, जिससे पौधे अधिक पोषक तत्व सोख पाते हैं।
  • फॉस्फोरस और माइक्रोन्यूट्रिएंट्स की उपलब्धता को बढ़ाता है।

मिट्टी में सूक्ष्मजीवों की गतिविधि बढ़ाता है:

  • यह लाभकारी सूक्ष्मजीवों को बढ़ावा देता है, जो मिट्टी की उर्वरता बढ़ाते हैं।

पौधों के विकास में मदद करता है:

  • जड़ों को मजबूत बनाता है और पौधों को सूखे जैसे तनाव से बचाता है।

माइकोराइजा के उपयोग में सावधानियां

  • माइकोराइजा का उपयोग जैविक खाद या वर्मी कंपोस्ट के साथ करें।
  • माइकोराइजा के उपयोग से 7-10 दिन पहले और बाद में रासायनिक खाद या फफूंदीनाशक का प्रयोग न करें।

कात्यायनी भूमिराजा (माइकोराइजा) के उपयोग की मात्रा

  • लंबी अवधि की फसलें (जैसे कपास, गन्ना): प्रति एकड़ 8 किलोग्राम।
  • कम अवधि की फसलें (जैसे गेहूं, सब्जियां): प्रति एकड़ 4 किलोग्राम।

उपयोग विधि:

  • माइकोराइजा को जैविक खाद के साथ मिलाकर मिट्टी में समान रूप से भुरकाव करे।

माइकोराइजा देने का सही समय

बेहतर परिणाम पाने के लिए माइकोराइजा का उपयोग निम्न अवस्थाओं में करें:

  • बुवाई के समय: यह प्रारंभिक जड़ संबंध सुनिश्चित करता है।
  • वनस्पतिक वृद्धि अवस्था में: इस दौरान पौधे की पोषक तत्व आवश्यकता अधिक होती है।

निष्कर्ष

माइकोराइजा फसल उत्पादन और मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने का एक बेहतरीन उपाय है। इसका सही तरीके से उपयोग करने से आपके खेत लंबे समय तक लाभदायक रहेंगे। यदि आपको यह जानकारी उपयोगी लगी हो, तो इसे अन्य किसानों के साथ साझा करें और कात्यायनी ऑर्गॅनिक्स के चैनल को सब्सक्राइब करना न भूलें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

Q. माइकोराइजा क्या है, और यह पौधों की कैसे मदद करता है?

A. माइकोराइजा एक फंगस है, जो पौधों की जड़ों के साथ सहजीवी संबंध बनाता है और पोषक तत्व अवशोषण को बढ़ाता है।

Q. माइकोराइजा कितने प्रकार का होता है?

A. माइकोराइजा के सात प्रकार होते हैं, लेकिन एक्टोमाइकोराइजा और एंडोमाइकोराइजा सबसे सामान्य हैं।

Q. एक एकड़ के लिए माइकोराइजा की कितनी खुराक चाहिए?

A. लंबी अवधि की फसलों के लिए 8 किलोग्राम और कम अवधि की फसलों के लिए 4 किलोग्राम प्रति एकड़।

Q. क्या माइकोराइजा के साथ रासायनिक खाद का उपयोग किया जा सकता है?

A. नहीं, माइकोराइजा के साथ रासायनिक खाद का उपयोग करने से बचें।

Q. माइकोराइजा का उपयोग कब करना चाहिए?

A. माइकोराइजा का उपयोग बुवाई के समय या वनस्पतिक वृद्धि की अवस्था में करें।

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