एफिड्स और जैसिड्स जीरे की फसल पर हमला करने वाले सबसे आम कीटों में से हैं। ये कीट पौधों का रस चूसकर उन्हें कमजोर कर देते हैं, जिससे फसल की वृद्धि रुक जाती है, पत्तियाँ पीली पड़ जाती हैं, और उत्पादन में कमी आती है। ये कीट पौधों में बीमारियों का प्रसार भी कर सकते हैं।
- एफिड्स: ये कीट जीरे के पौधों की कोमल टहनियों और पत्तियों पर समूह बनाते हैं। ये एक चिपचिपा पदार्थ (हनीड्यू) स्रावित करते हैं। एफिड्स पौधों का रस चूसते हैं, जिससे पौधों की वृद्धि रुक जाती है, पत्तियाँ पीली पड़ जाती हैं, और पौधे मुरझाने लगते हैं। इसके अलावा, ये पौधों में वायरल बीमारियाँ भी फैला सकते हैं।
- जैसिड्स: जैसिड्स छोटे, हरे-पीले रंग के कीट होते हैं, जो पत्तियों का रस चूसते हैं। इनके कारण पत्तियाँ मुड़ जाती हैं, पीली पड़ जाती हैं और अंततः सूख जाती हैं। ये पौधों की वृद्धि को रोकते हैं और फसल की उपज को कम कर सकते हैं।
एफिड्स और जैसिड्स का विवरण:
प्रकार: कीट
प्रमुख प्रभावित राज्य: राजस्थान, गुजरात, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र
प्रभाव:
- पत्तियाँ: कोमल पत्तियो पर एफिड्स और जैसिड्स आक्रमण करते हैं।
- फूल: जैसिड्स फूलों को नुकसान पहुंचाते हैं।
- फल: एफिड्स फलों का रस चूसकर उन्हें नुकसान पहुंचाते हैं।
- तने: एफिड्स और जैसिड्स तनों को नुकसान पहुंचाकर उन्हें कमजोर या टूटने लायक बना देते हैं।
एफिड्स और जैसिड्स के लक्षण:
एफिड्स (Aphids):
- पत्तियों और तनों पर चिपचिपा पदार्थ (हनीड्यू)।
- पौधों पर काले फफूंद (सोटी मोल्ड) का विकास।
- पौधों की वृद्धि रुक जाना और पत्तियों का पीला होना।
जैसिड्स (Jassids):
- पत्तियों के किनारों का पीला होना और मुरझाना।
- क्लोरोफिल की कमी के कारण प्रकाश संश्लेषण में गिरावट।
- गंभीर मामलों में पत्तियों का सूखना और झड़ना।
नुकसान पहुंचाने वाले चरण:
उपज में कमी:
- कीटों के ज्यादा आक्रमण के कारण फूल और बीज बनने की प्रक्रिया प्रभावित होती है।
माध्यमिक संक्रमण:
- हनीड्यू फफूंद को आकर्षित करता है, जिससे पौधों में बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है।
पौधों की कमजोरी:
- लंबे समय तक रस चूसने के कारण पौधे कमजोर हो जाते हैं और उनकी वृद्धि रुक जाती है।
कीट वृद्धि के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ:
गर्म और शुष्क मौसम:
- एफिड्स और जैसिड्स का प्रजनन और गतिविधि 20-30°C तापमान के बीच तेजी से बढ़ता है।
- जीरे के पौधों की वृद्धि और फूल बनने के चरणों के दौरान गर्म और शुष्क मौसम की स्थिति में इन कीटों की आबादी तेजी से बढ़ सकती है।
जीरे की फसल में एफिड्स और जैसिड्स के नियंत्रण के उपाय:
उत्पाद का नाम | तकनीकी नाम | खुराक (प्रति एकड़) |
---|---|---|
थायोक्साम | थायमेथोक्साम 25% WG (Thiamethoxam 25% WG) | 100 ग्राम |
फॉक्सी | फिप्रोनिल 4% + थायमेथोक्साम 4% SC (Fipronil 4% + Thiamethoxam 4% SC) | 300 मिली |
चक्रवर्ती | थायमेथोक्साम 12.6% + लैम्ब्डा साइहैलोथ्रिन 9.5% ZC (Thiamethoxam 12.6% + Lambda Cyhalothrin 9.5% ZC) | 80-100 मिली |
आईएमडी 178 | इमिडाक्लोप्रिड 17.8% SL (Imidacloprid 17.8% SL) | 60-100 मिली |
डीमैट | डाईमेथोएट 30% EC (Dimethoate 30% EC) | 300 मिली |
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
Q. एफिड्स और जैसिड्स क्या हैं, और वे जीरे के पौधों को कैसे प्रभावित करते हैं?
A. एफिड्स छोटे कीट हैं जो कोमल शाखाओं और पत्तियों पर इकट्ठा होते हैं और एक चिपचिपा पदार्थ (हनीड्यू) छोड़ते हैं। ये पौधों का रस चूसते हैं, जिससे पत्तियां पीली पड़ जाती हैं, मुरझाने लगती हैं और पौधे का विकास रुक जाता है। जैसिड्स हरे-पीले रंग के कीट हैं, जो पत्तियों का रस चूसते हैं, जिससे पत्तियां मुरझा जाती हैं, पीली हो जाती हैं और उपज कम हो जाती है। दोनों कीट पौधों को कमजोर कर सकते हैं और रोग फैला सकते हैं।
Q. जीरे के पौधों में एफिड्स और जैसिड्स के संक्रमण के लक्षण क्या हैं?
A. एफिड्स के लिए:
- पत्तियों और तनों पर चिपचिपा हनीड्यू।
- पौधों पर काली फफूंद।
- पौधों का अविकसित विकास और पत्तियों का पीला पड़ना।
जैसिड्स के लिए:
- पत्तियों के किनारों का पीला और मुरझाना।
- क्लोरोफिल की कमी के कारण प्रकाश संश्लेषण में कमी।
- गंभीर मामलों में पत्तियां सूखकर झड़ना।
Q. एफिड्स और जैसिड्स के विकास के लिए अनुकूल परिस्थितियां क्या हैं?
A. एफिड्स और जैसिड्स गर्म और शुष्क मौसम में, 20-30°C के तापमान पर तेजी से बढ़ते हैं। ये परिस्थितियां जीरे के शाकीय और फूलों के चरणों में इनके विकास के लिए विशेष रूप से अनुकूल होती हैं।
Q. एफिड्स और जैसिड्स जीरे के पौधों को कैसे नुकसान पहुंचाते हैं?
- फूलों और बीजों के निर्माण में कमी के कारण उपज घट जाती है।
- हनीड्यू के कारण द्वितीयक संक्रमण होता है, जो फफूंद को आकर्षित करता है।
- लंबे समय तक रस चूसने से पौधे कमजोर हो जाते हैं, जिससे विकास रुक जाता है।
Q. कीट संक्रमण से बचने के लिए किसान कौन से रोकथाम उपाय अपना सकते हैं?
- उचित वायु प्रवाह सुनिश्चित करने के लिए पौधों को घना न लगाएं।
- कीटों का प्रारंभिक पता लगाने के लिए खेतों की नियमित निगरानी करें।
- यदि उपलब्ध हो, तो कीट प्रतिरोधी जीरे की किस्मों का उपयोग करें।
- कीट आवास को कम करने के लिए खेत की स्वच्छता बनाए रखें।
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