जीरा एक महत्वपूर्ण मसाला फसल है, जिसकी खेती मुख्य रूप से राजस्थान और गुजरात में की जाती है, जहां देश के कुल जीरा उत्पादन का 80% से अधिक हिस्सा आता है। राजस्थान के पश्चिमी क्षेत्रों में कुल उत्पादन का 28% जीरा उत्पादित होता है, जबकि गुजरात में इससे भी अधिक पैदावार होती है। जीरे की सफल खेती के लिए उर्वरक प्रबंधन का सही तरीका अपनाना बेहद जरूरी है, जिससे न केवल उत्पादन में वृद्धि होती है, बल्कि फसल की गुणवत्ता में भी सुधार होता है। नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश जैसे मुख्य पोषक तत्वों के साथ-साथ जिंक, आयरन, और बोरॉन जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों का संतुलित उपयोग फसल की वृद्धि, उत्पादन, रोग प्रतिरोधक क्षमता और मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखने में मदद करता है।
उर्वरकों का उपयोग कब किया जाना चाहिए
जीरे की फसल में खेत तैयार करते समय 2 से 3 ट्रॉली अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद और साथ में 4 किलों प्रति एकड़ कात्यायनी भूमिराजा को डलवा दे उसके बाद जुताई करवा दे और बाद में
बुवाई के समय
- 50 किलो एस एस पी प्रति एकड़
- 20 किलो यूरिया प्रति एकड़
- 10 किलो पोटाश प्रति एकड़ को मिट्टी में लेवल करते समय डलवा दे
टॉप ड्रेसिंग
यह खाद मुख्यतः जब जीरे की फसल एक महीने के आस पास आती है तब दिया जाता है
20 किलो यूरिया प्रति एकड़
2 किलो कात्यायनी ह्यूमिक एसिड प्रति एकड़
उर्वरकों का उपयोग कैसे करें
जीरा फसल में उर्वरक का उपयोग करने के लिए सबसे पहले मिट्टी का परीक्षण करना आवश्यक है, ताकि आवश्यक पोषक तत्वों का सही निर्धारण किया जा सके। बुवाई के समय, बेसल डोज़ के रूप में SSP, Urea और MOP का उपयोग करें, जिसमें नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश का संतुलित मिश्रण होना चाहिए। उर्वरक डालने से पहले खरपतवार को हटा दें और सुनिश्चित करें कि मिट्टी में आर्द्रता हो। इसके अलावा, बारिश के मौसम में उर्वरक का उपयोग करने से बचें, ताकि पोषक तत्व मिट्टी में सुरक्षित रहें और पौधों को सही मात्रा में मिल सकें। इस प्रकार, सही समय और मात्रा में उर्वरक का उपयोग करने से जीरा फसल की उत्पादकता में सुधार होता है।
जीरे की फसल मे उर्वरक प्रबंधन के फायदे
- पौधों में सफ़ेद जड़ो का विकास अच्छे से होता है जिससे पौधे पोषक तत्त्व अच्छे से ग्रहण कर पाते है।
- पौधों की जड़ों को पोषक तत्वों और पानी की अवशोषण क्षमता को बढ़ाता है, जिससे फसल की स्वास्थ्य में सुधार होता है।
- जड़ विकास और फूल आने में मदद करता है, जिससे फसल की उपज में सुधार होता है।
- पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है और सूखे के दौरान सहनशीलता में सुधार करता है।
- मिट्टी की संरचना और उर्वरता में सुधार करता है, जिससे पौधों के लिए पोषक तत्वों की उपलब्धता बढ़ती है।
उर्वरकों का उपयोग करते समय ध्यान रखने योग्य बातें
- उर्वरकों को मिट्टी में देने से पहले मिट्टी का परीक्षण अवश्य करवा लेना चाहिए जिससे आपको पता चल सके कि मिट्टी में किस पोषक तत्व को मिलाने की आवश्यकता है।
- हमेशा फर्टिलाइज़र की सही मात्रा का निर्धारण करें ताकि पौधों को आवश्यकता के अनुसार पोषक तत्व मिल सकें।
- उर्वरक डालने से पहले खरपतवार को हटाना सुनिश्चित करें ताकि पोषक तत्वों का अधिकतम लाभ मिल सके।
- रासायनिक उर्वरकों के साथ जैविक उर्वरकों का भी उपयोग करें ताकि मिट्टी की उर्वरता और संरचना में सुधार हो सके।
- बरसात के समय फर्टिलाइज़र का उपयोग न करें, क्योंकि बारिश से पोषक तत्व बह सकते हैं और उनकी उपलब्धता कम हो जाती है।
- उर्वरकों को ठंडी और सूखी जगह पर सुरक्षित तरीके से संग्रहित करें ताकि उनकी गुणवत्ता बनी रहे।
FAQs
Q. जीरा की फसल में उर्वरक का उपयोग कब करना चाहिए?
जीरा की फसल में उर्वरक का उपयोग खेत तैयार करते समय और बुवाई के समय किया जाना चाहिए, इसके बाद टॉप ड्रेसिंग भी आवश्यक है।