जीरे की फसल में छाछया रोग (Powdery Mildew) एक सामान्य लेकिन खतरनाक फफूंद जनित रोग है, जो पौधों की पत्तियों, तनों और फूलों पर सफेद, चूर्णी दाग बनाता है। यह रोग रीसिफे पोलिगोनी नामक फफूंद द्वारा उत्पन्न होता है, जो कम आर्द्रता वाले क्षेत्रों में तेजी से फैलता है। पाउडरी मिल्ड्यू के कारण पौधों की वृद्धि रुक जाती है और फसल की गुणवत्ता व उपज पर बुरा प्रभाव पड़ता है। समय रहते इस रोग का पहचान और उपचार करना फसल की सुरक्षा और उपज में सुधार के लिए आवश्यक है।
छाछया रोग क्या है ?
रीसिफे पोलिगोनी
जीरे की फसल में छाछया रोग जिसे किसान भाई चूर्णिल आसिता, ख़स्ता फफूंदी और भभूतिया रोग के नामो से भी जानते है। जीरे की फसल में यह रोग ज्यादा तर गुजरात और राजस्थान में देखा जाता है। यह रोग जीरा उत्पादक सभी क्षेत्रों में देखा जा सकता है। छाछया रोग एक फफूंदजनित रोग है जो पत्तियों, तनों, और कभी-कभी फलों पर सफ़ेद पाउडर जैसा विकास करती है. यह फ़फूंद शुष्क परिस्थितियों में ज़्यादा आम तौर पर विकसित होती है।
नुकसान के लक्षण
- संक्रमित पौधों में पत्तियों, डंठल, तने और बीजों पर सफेद चूर्णीय वृद्धि दिखाई देती है।
- रोग के प्रकोप के बाद बीज सफेद और सिकुड़े हुए हो जाते हैं तथा उनका वजन हल्का हो जाता है।
- पत्तियां पीली हो जाती हैं और सूख जाती हैं।
- कुछ पत्तियां मुड़ी या विकृत हो सकती हैं।
- कलियां और बढ़वार सिरे विकृत हो जाते हैं।
आर्थिक नुकशान
जीरे की फसल में पाउडरी मिल्ड्यू रोग के कारण किसानों को गंभीर आर्थिक नुकसान हो सकता है। इस रोग से पौधों की पत्तियाँ और बीज प्रभावित होते हैं, जिससे उपज में भारी कमी आती है। रोगग्रस्त बीज छोटे, सिकुड़े हुए और हल्के होते हैं, जो बाजार में बेचने के लिए अनुपयुक्त होते हैं। इसके परिणामस्वरूप किसानों को 30-40% तक की उपज में कमी का सामना करना पड़ सकता है, जिससे उनकी आय पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
छाछया रोग के रोकथाम के लिए सबसे भरोसेमंद फफूंदनाशक
कात्यायनी डॉ. जोल एक व्यापक स्पेक्ट्रम प्रणालीगत फफूंदनाशक है, जिसमें एजोक्सीस्ट्रोबिन 11% और टेबुकोनाजोल 18.3% SC होता है। यह पौधों की सतह पर एक सुरक्षा अवरोध के रूप में काम करता है और ऊतकों के अंदर भी प्रभावी रहता है। यह एक सस्पेंशन कंसन्ट्रेट फॉर्मूलेशन है, जिसका मतलब है कि यह एक तरल मिश्रण है जिसे उपयोग से पहले अच्छे से हिलाना आवश्यक होता है। डॉ. जोल प्रणालीगत और ट्रांसलामिनर गति दिखाता है और पौधे की प्रणाली में तेजी से फैलता है।
कात्यायनी डॉ. जोल के फायदे
- कात्यायनी डॉ. जोल कई प्रकार की फफूंद जनित बीमारियों से फसलों की सुरक्षा करता है, जैसे पाउडरी मिल्ड्यू, डाई बैक, पाउडरी मिल्ड्यू, शीथ ब्लाइट और पर्पल ब्लॉच आदि।
- कात्यायनी डॉ. जोल में सक्रिय घटक प्रणालीगत होने के कारण पौधा में अच्छे से अवशोषित कर पुरे पौधे में फेल जाता है।
- इसका प्रभाव लम्बे समय तक रहता है जिससे बार-बार फफूंदनाशक के उपयोग की आवश्यकता कम हो जाती है।
- यह फसल की गुणवत्ता और उपज को भी बेहतर बनाने में मदद करता है।
कात्यायनी डॉ. जोल को कैसे उपयोग करें?
कात्यायनी डॉ. जोल दवाई को 300 मिली प्रति एकड़ 150 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव के माध्यम से दें।
निष्कर्ष
जीरे की फसल में छाछया रोग (पाउडरी मिल्ड्यू) एक गंभीर फफूंदजनित समस्या है, जो फसल की गुणवत्ता और उपज पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। इस रोग का समय रहते पहचानना और प्रभावी उपचार करना बहुत जरूरी है। कात्यायनी डॉ. जोल, जिसमें एजोक्सीस्ट्रोबिन और टेबुकोनाजोल जैसे प्रभावी तत्व हैं, इस रोग के नियंत्रण के लिए एक विश्वसनीय विकल्प है। यह फफूंदनाशक पौधों की सुरक्षा करता है और उपज में सुधार लाता है। उचित उपचार से किसानों को छाछया रोग के कारण होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है और फसल की उत्पादकता बनाए रखी जा सकती है।
छाछया रोग से संबंधित सामान्य प्रश्न
Q. छाछया रोग/चूर्णिल आसिता क्या है?
A. छाछया रोग एक फफूंदजनित रोग है, जो रीसिफे पोलिगोनी नामक फफूंद द्वारा उत्पन्न होता है और यह पौधों की पत्तियों, तनों और फूलों पर सफेद चूर्णी दाग बनाता है।
Q. चूर्णिल आसिता/भभूतिया रोग के मुख्य लक्षण क्या हैं?
A. संक्रमित पौधों में पत्तियों, तनों, डंठल और बीजों पर सफेद चूर्णीय वृद्धि दिखाई देती है। पत्तियां पीली हो जाती हैं, बीज सिकुड़ते हैं और उनका वजन हल्का हो जाता है।
Q. छाछया रोग/ ख़स्ता फफूंदी से बचाव के लिए सबसे प्रभावी उपाय क्या है?
A. कात्यायनी डॉ. जोल (एजोक्सीस्ट्रोबिन 11% और टेबुकोनाजोल 18.3% SC) एक प्रभावी फफूंदनाशक है, जिसमें एजोक्सीस्ट्रोबिन और टेबुकोनाजोल होते हैं, जो इस रोग के नियंत्रण में मदद करते हैं।
Q. कात्यायनी डॉ. जोल का उपयोग कैसे करें?
A. कात्यायनी डॉ. जोल को 300 मिली प्रति एकड़ 150 लीटर पानी में मिलाकर पौधों पर छिड़काव करें।
Q. कात्यायनी डॉ. जोल के क्या फायदे हैं?
A. यह फफूंदनाशक प्रणालीगत है, जिससे यह पौधों के अंदर अवशोषित होकर पूरे पौधे में फैलता है। इसका प्रभाव लंबे समय तक रहता है और यह फसल की गुणवत्ता और उपज में सुधार करता है।